लखनऊ। दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों में शुक्रवार देर रात तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। देर शाम तकरीबन 11.35 मिनट पर पहला झटका महसूस हुआ, जो तकरीबन दो मिनट तक रहा। प्रदेश की राजधानी लखनऊ और बिहार की राजधानी पटना में भी तेज कंपन महसूस हुआ। झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. काफी देर तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। भूकंप के झटकों से लखनऊ की धरती भी हिल गई। अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को झटके ज्यादा तेज महसूस हुए। डर के चलते लोग अपने घरों से बाहर सड़क पर निकल आए। सड़क पर भीड़ हो गई। लोग अपने लोगों का हाल जानने के लिए फोन करने लगे। जानकारी के मुताबिक, भूकंप के ये झटके दिल्ली-एनसीआर के अलावा बाकी कई हिस्सों में भी महसूस किए गए। लखनऊ, देहरादून, जयपुर, बरेली और मुरादाबाद में भूकंप के झटके आए।
भूकंप की जानकारी देने वाले नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 6.4 रही। भूकंप का केंद्र नेपाल रहा। भूकंप के झटके से भारत, नेपाल और चीन की धरती हिली।
इससे पहले तीन अक्टूबर को भी भूकंप आया था। पहला भूकंप 2 बजकर 25 मिनट और दूसरा 2 बजकर 51 मिनट पर आया. पहले भूकंप की तीव्रता 6.2 थी जबकि, दूसरा झटका बहुत जोरदार था। दूसरे भूकंप की तीव्रता 6.2 रही। दोनों ही भूकंप का केंद्र नेपाल रहा।
शुक्रवार को जब देर रात लोग सोने की तैयारी कर रहे थे तब भूकंप की तीव्रता इतनी तेज थी कि दिल्ली से उत्तराखंड पूरे उत्तर भारत में धरती कांप गई। भूकम्प से फ़िलहाल किसी तरह के जान व माल की हानि की कोई सूचना नहीं है।
इस भूकंप से उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड की धरती हिली। लोगों में घबराहट फैल गई। लोग अपने घरो से बाहर निकल पड़े। बेड, सोफा, बोतलों में रखा पानी और पंखे हिलने लगे। लोग अपनी बचत के उपाय ढूंढने लगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप का केन्द्र नेपाल में था। अमौसी स्थित मौसम केन्द्र के अनुसार भूकंप का यह केन्द्र नेपाल में धरती के पांच किलोमीटर भीतर था जिसका असर व्यापक हुआ। लखनऊ से इसकी दूरी मात्र 284 किलोमीटर है। इसके बावजूद घबराने की कोई बात नहीं है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप के लिहाज से लखनऊ काफी हद तक सुरक्षित है। गंगा बेसिन मैदानी क्षेत्र में होने के कारण मिट्टी की परत काफी मोटी तहों वाली और बलुई है। यह काफी हद तक झटकों को सोख लेती है। लखनऊ और गंगा के मैदान का अधिकांश क्षेत्र भूकंप जोन तीन में आता है। इस क्षेत्र में अधिकतम मध्य स्तरीय भूकंप आने की ही संभावना रहती है। जोन तीन में भूकंप आने पर जानमाल की क्षति का खतरा काफी कम होता है। वहीं, चट्टानी इलाकों में तीव्रता बढ़ जाती है। लखनऊ, फिरोजाबाद, मथुरा, कासगंज, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, बाराबंकी, कन्नौज, लखीमपुर खीरी में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
कितनी तीव्रता कितनी खतरनाक?
कोई भूकंप कितना खतरनाक है? इसे रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खतरनाक होता है। 0 से 1.9 की तीव्रता वाले भूकंप का पता सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही चलता है। 2 से 2.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है। 3 से 3.9 के भूकंप में कोई ट्रक गुजर गया हो। 4 से 4.9 की तीव्रता के भूकंप में खिड़कियां टूट सकतीं हैं। दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं। 5 से 5.9 की तीव्रता वाले भूकंप में घर का फर्नीचर हिल सकता है। 6 से 6.9 की तीव्रता वाला भूकंप इमारतों की नींव को दरका सकता है, ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंच सकता है। 7 से 7.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतें ढह जातीं हैं। जमीन के अंदर पाइप लाइन फट जातीं हैं। 8 से 8.9 की तीव्रता के भूकंप में इमारतों के साथ-साथ बड़े-बड़े पुल भी गिर सकते हैं। 9 या उससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आने पर जमकर तबाही मचती है। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती हिलती हुई दिखाई देगी।
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