अमर शहीदों की याद में उ.प्र संस्कृति विभाग की ओर से संगीत नाटक अकादमी परिसर में आयोजित समारोह सम्पन्न
लखनऊ। देश की आजादी में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों की याद में आयोजित समारोह 'रंग-दे- बसंती’ में शुक्रवार को दूसरे दिन भी देशभक्ति की तरानों की गूंज हुई। शहर की कलाकार निधि तिवारी और पंजाब से आई गायिका गिन्नी माही ने अपने गाए गीतों में वतन से मोहब्बत का जज्बा भर दिया। समारोह का आयोजन उ.प्र. संस्कृति विभाग की ओर से गोमती नगर स्थित उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी में किया गया है। समारोह के मुख्य अतिथि उ.प्र. संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम व विशेष सचिव आनंद कुमार सहित अन्य अधिकारी व गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
पंजाब की गायिका गिन्नी माही ने बॉलीवुड फिल्म ’वीर जारा’ का देशभक्ति से भरा हुआ गाना ’धरती सुनहरी अम्बर नीला, हर मौसम रंगीला, ऐसा देेश है मेरा...' गाया तो लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया। इसके बाद साल 2002 में रिलीज हुई फिल्म ’ दि लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ में गाया हुआ और बहुत ही लोकप्रिय गाना ’रंग दे बसंती चोला...' गाया तो लोग झूमने लगें। इसके बाद उन्होंने फिल्म ’कर्मा’ का गाना ’दिल दिया है जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए...' सहित एक से बढ़कर एक नगमे सुनाए। गिन्नी मूलतः पंजाब की रहने वाली है, लेकिन यूरोंप के कई देश यूके, कनाडा सहित अन्य देशों में अपनी गायिकी का जलवा बिखेर चुकी है। जर्मनी की पार्लियामेंट में अपना कार्यक्रम पेश किया है। साथ ही कई पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी है।
इससे पहलेे राजधानी की नृत्यागंना निधि तिवारी ने अपने साथियों के साथ गीत ’ये देश मेरी जान है, ईमान है मेरा, आन बान शान अभिमान है मेरा...' पर नृत्य नाटिका पेश की। अपनी नृत्य नाटिका में उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई के दृश्य भी उभारे। इसके अलावा नृत्यागंना ने नारी शक्ति को दर्शाते हुए गीत ’तिरछी भाली का काम कर दे...' पर नृत्य प्रस्तुत किया। इसकी कोरियोग्राफी और निर्देशन भी स्वयं निधि तिवारी ने ही किया है। उनके साथ वर्षा, वंशिका, इशिका, वंश, लवकुश, आयुश, प्रियांशी परी व खुशी ने साथ दिया।
इसके अलावा मथुरा से आए लोक कलाकार हरीश कुमार मयूर ने साथियों के साथ फूलोें की होली भी खेली। उन्होंने लोक गीत ’आ गए होरियारे होली में...', होरियारे ग्वालिन निक्सया री, आंगन में आए ग्वाल तेरे द्वारे... गाया। इसमें कलाकार कपिल, नंदिनी दत्ता, ममता जूही, निहारिका, हेमंत सात्विक, कोमल काकुली थीं। इसके अलावा अयोध्या से आए कलाकारों ने फरवाही, बांदा के कलाकारों ने पाई डंडा व गाजीपुर के कलाकारों ने राई नृत्य की प्रस्तुति दी। इसी के साथ ही गुरूवार से शुरू हुआ दो दिवसीय समारोह सम्पन्न हो गया।
बताते चले कि अपने देश को अंग्रेजों की गुलामी से छुटकार दिलाने के लिए लड़ने वाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी गई थी। वे अमर क्रातिकारी हंसते- हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। गोरी सरकार ने उन्हें ने फांसी की सजा दी थी। 23 मार्च को भारत के वीर सपूतों के बलिदान की याद को याद करते हुए शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
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