लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम के लिए मिला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय नीति बनाने में अहम भूमिका
एजेंसी। मुंबई के जाने माने संस्थान राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग अर्थात नीटी) के निदेशक मनोज तिवारी को अंतरराष्ट्रीय बेकर सम्मान के लिए चुना गया है। उनको यह सम्मान देश में लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम और सप्लाई चेन टेक्नालाजी के सपोर्ट मॉडल बनाने के लिए दिया गया है। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले श्री तिवारी पहले भारतीय वैज्ञानिक हैं।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के एक छोटे से गांव से पढ़ाई शुरू करके दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाने वाले श्री तिवारी इन दिनों देश के जाने माने वैज्ञानिक हैं। स्कूल के दिनों में उनके गांव में बिजली भी नहीं होती थी। उस मुकाम से दुनिया के जाने माने प्रोफेसर बनने वाले श्री तिवारी भारत की लॉजिस्टिक्स नीति के निर्माण में भी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।
उनके बनाए मॉडल माल भाड़े के आवागमन को आसान बनाने और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने में मददगार होंगे। वह भारत में रहने वाले पहले वैज्ञानिक हैं, जिनको यह सम्मान दिया गया है। डेविड एफ बेकर पुरस्कार से हर साल किसी एक ऐसे वैज्ञानिक को सम्मानित किया जाता है जिसकी रिसर्च से औद्योगिक प्रणाली (इंडस्ट्रियल सिस्टम) विकसित करने में मदद मिलती है।
वर्तमान में श्री तिवारी केंद्र को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पालिसी बनाने में सलाह दे रहे हैं। कई वर्षों तक विदेशों में अध्यापन करने के बाद श्री तिवारी ने कुछ वर्षों पहले देश लौटने का फैसला किया ताकि देश की औद्योगिक तरक्की में वैज्ञानिक योगदान कर सकें। आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर श्री तिवारी इस समय मुंबई में नीटी के जरिये औद्योगिक इंजीनियरिंग प्रबंधन के कई कोर्स चला रहे हैं।
उनको ये पुरस्कार मिलने पर वैज्ञानिक क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियों ने उनका स्वागत किया है। नीटी के पूर्व और मौजूदा छात्रों ने खुशी जाहिर की है। यह पुरस्कार मिलने पर श्री तिवारी ने कहा कि वह पुरस्कार समिति, शोधकर्ता सहयोगियों, छात्रों और नीटी के सभी सहयोगियों के आभारी है।
श्री तिवारी कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय समूह के सदस्य हैं। इसके साथ ही वह ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर एकेडमिक नेटवर्क (जीआईएएन) के सदस्य और यूजीसी के अध्ययन बोर्ड के प्रमुख भी है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार देश में लगातार संभार तंत्र और आपूर्ति श्रृंखला (लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन) सुधार पर काम कर रही है। इससे देश में 700 लाख करोड़ से ज्यादा के कारोबार की संभावना है। भारत दुनिया में इस क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है।
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