- अरुण कुमार, सेवानिवृत्त महानिदेशक, रेलवे सुरक्षा बल
एजेंसी। रेलवे सुरक्षा के क्षेत्र में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) भारत की एक प्रमुख सुरक्षा एवं कानून प्रवर्तन एजेंसी है। रेलवे संपत्ति की बेहतर तरीके से रक्षा एवं सुरक्षा के लिए 1957 में इसका गठन हुआ था। रेलवे संपत्ति की रक्षा एवं सुरक्षा की अपनी मुख्य भूमिका से आगे बढ़कर यह बल यात्री सुरक्षा एवं सुविधा की अतिरिक्त भूमिकाओं के लिए तत्पर हुआ। बदलते वक्त के साथ यात्री सुरक्षा और सुविधा से संबंधित भूमिका पर फोकस भी बढ़ रहा है। बल आज भारतीय रेलवे के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। आरपीएफ आज रेलवे और इसके लक्षित वर्ग की बदलती सुरक्षा जरूरतों को समझता है और खुद को कौशल एवं संसाधनों से लैस कर नए कदम उठा रहा है। वर्तमान में, आरपीएफ भारत का ऐसा केंद्रीय बल है, जिसके रैंक में महिलाओं की सबसे बड़ी हिस्सेदारी (9%) है। यह राष्ट्र और इसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने दायरे और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। व्यापक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आरपीएफ ने यात्रियों को चोरी, मानव तस्करी, आत्महत्या के प्रयास, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अपराधों से बचाने के उद्देश्य से कई अभियान शुरू किए हैं।
• सबसे उल्लेखनीय अभियानों में से एक 'रेल सुरक्षा' है। इस अभियान में आरपीएफ ने रेलवे संपत्ति से जुड़े अपराधों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की और रेलवे संपत्ति की चोरी के 6492 मामले दर्ज किए। 11,268 अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ ही 7.37 करोड़ रुपये मूल्य की चोरी की गई रेलवे संपत्ति बरामद की गई।
• आरपीएफ बच्चों को बचाने और उनकी सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 2022 में एक व्यापक अभियान 'नन्हे फरिश्ते' चलाया गया। यह ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर पाए जाने वाले बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए शुरू किया गया था। सालभर के दौरान 17,756 बच्चों को आरपीएफ कर्मियों ने छुड़ाया।
• एक और महत्वपूर्ण अभियान मानव तस्करी के खिलाफ शुरू किया गया 'ऑपरेशन एएएचटी' है। मानव तस्करी रोकने के लिए भारतीय रेलवे के 740 से ज्यादा स्थानों पर आरपीएफ मानव तस्करी विरोधी यूनिट शुरू की गईं। सालभर के दौरान 194 तस्करों की गिरफ्तारी के साथ 559 लोगों को उनके चंगुल से बचाया गया।
• 'मिशन जीवन रक्षा' के तहत दूसरों की जान बचाने के लिए आरपीएफ के जवान अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। सालभर के दौरान आरपीएफ कर्मियों ने 852 जानें बचाईं।
• 'ऑपरेशन नार्कोस' शुरू करने के साथ ही आरपीएफ को रेलवे के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए सशक्त किया गया है। वर्ष के दौरान, आरपीएफ ने मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल 1081 अपराधियों को गिरफ्तार किया और करीब 80 करोड़ रुपये मूल्य के एनडीपीएस को जब्त करने में सफलता मिली।
• 'ऑपरेशन अमानत' के जरिए आरपीएफ खोए हुए सामान को हासिल कर उसे असली मालिकों को लौटा रहा है। साल के दौरान आरपीएफ ने 46.5 करोड़ से अधिक मूल्य के करीब 25,500 सामान बरामद किए।
• 'ऑपरेशन डब्ल्यूआईएलईपी' के तहत आरपीएफ रेलवे के जरिए वन्यजीवों के अवैध व्यापार को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। साल के दौरान अवैध व्यापार के 129 मामलों का पता चला और 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
• यात्रियों को सफर के दौरान रीयल-टाइम सुरक्षा संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए आरपीएफ ने 'ऑपरेशन यात्री सुरक्षा' शुरू किया है। आपातकालीन प्रतिक्रिया पहल के तहत यात्रियों को तत्काल सुरक्षा संबंधी सहायता प्रदान की जाती है। सालभर के दौरान इसके लिए 2 लाख से अधिक कॉल प्राप्त हुए।
• आरपीएफ ने अकेले या नाबालिगों के साथ यात्रा करने वाली महिलाओं की रक्षा एवं सुरक्षा के लिए 'मेरी सहेली' पहल शुरू की। सभी जोनल रेलवे में महिला आरपीएफ कर्मियों की टीमें बनाई गईं और उन्हें आईटी मॉड्यूल से लैस किया गया जिससे वे ऐसी महिलाओं तक पहुंच सकें जिन्हें सुरक्षा एवं भरोसे की आवश्यकता होती है।
• 'मातृशक्ति' अभियान के साथ आरपीएफ रेल यात्रा के दौरान प्रसव पीड़ा पर गर्भवती महिलाओं की हरसंभव मदद करता है। सालभर में आरपीएफ की महिला कर्मियों ने ऐसे 209 बच्चों के जन्म में सहायता की।
• ऑपरेशन 'सेवा' के तहत आरपीएफ बुजुर्ग नागरिकों, महिलाओं, शारीरिक रूप से दिव्यांगों और बीमार एवं घायलों की यात्रा में मदद करता है। उनके लिए व्हीलचेयर, स्ट्रेचर, चिकित्सा सहायता और शिशुओं के लिए खाने-पीने जैसी सुविधाएं प्रदान करता है। 2022 में आरपीएफ ने ऐसे 37,000 से अधिक व्यक्तियों की सहायता की।
• आरपीएफ 'सतर्क' अभियान के तहत निषिद्ध और अवैध सामान ले जाने के खिलाफ भी कार्रवाई करता है। आरपीएफ ने निषिद्ध वस्तुओं को ले जाने वाले 2331 लोगों को गिरफ्तार कर आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित प्रशासन को सौंपा है।
• आरपीएफ ने हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, मणिपुर,
अंतरराष्ट्रीय रेल संघ (यूआईसी) और रेलवे सुरक्षा बल साथ मिलकर जयपुर में 20 से 23 फरवरी तक 18वीं विश्व सुरक्षा कांग्रेस का आयोजन कर रही है। यूआईसी की स्थापना 1922 में पेरिस में हुई थी। यह दुनियाभर में रेलवे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला एक पेशेवर संघ है जो रेल क्षेत्र में सहयोग, मानकीकरण और सूचनाओं को साझा करने को बढ़ावा देता है। यूआईसी का सुरक्षा मंच अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन, नीतियों को बनाने और विश्लेषण के लिए जिम्मेदार है। इसके साथ ही यह यूआईसी सदस्यों के सुरक्षा निदेशकों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम कार्य प्रणाली को बढ़ावा देता है।
यूआईसी का विश्व सुरक्षा कांग्रेस एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसमें सदस्य रेलवे संगठनों के सुरक्षा प्रमुखों, यूआईसी, भारतीय रेलवे-आरपीएफ के प्रतिनिधि और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल होते हैं। कांग्रेस तकनीकी सहयोग, साझेदारी और रेलवे सुरक्षा के सर्वोत्तम तरीकों व उपायों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। भारत की प्रमुख सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसी आरपीएफ यूआईसी सुरक्षा प्लेटफॉर्म का एक सक्रिय सदस्य रहा है। भारत ने 2006 और 2015 में नई दिल्ली में यूआईसी विश्व सुरक्षा कांग्रेस का सफलतापूर्वक आयोजन और मेजबानी की थी।
आरपीएफ के महानिदेशक ने यूआईसी सुरक्षा मंच के माध्यम से अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए एशिया, अफ्रीका और कई दूसरे विकासशील देशों में काम करने वाले सदस्य संगठनों की भागीदारी बढ़ाने के उपाय किए हैं।
जयपुर में 'रेलवे सुरक्षा रणनीति: प्रतिक्रियाएं और भविष्य के लिए दृष्टिकोण' विषय पर आयोजित होने वाली 18वीं विश्व सुरक्षा कांग्रेस दुनियाभर में रेल परिवहन की सुरक्षा को बढ़ावा देने की यूआईसी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भारत के जी-20 राष्ट्रों के समूह की अध्यक्षता संभालने और आरपीएफ महानिदेशक के यूआईसी सुरक्षा मंच के अध्यक्ष के रूप में काम करने के साथ ही यह कार्यक्रम रेलवे सुरक्षा की दिशा में एक प्रमुख वैश्विक आयोजन साबित होने जा रहा है। आशा है कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के नेतृत्व में जयपुर में होने वाली 18वीं यूआईसी विश्व सुरक्षा कांग्रेस रेलवे सुरक्षा के इतिहास में एक ऐतिहासिक समारोह होगा।
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