लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा)। लक्ष्मण नगरी में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र को जीवन में उतारने व वर्तमान समय में उनके चरित्र को दिखाने की तैयारियां जोर शोर से चल रहीं हैं। जगह जगह होने वाली रामलीलाओं में अपना किरदार बखूबी निभाने की उत्सुकता कलाकारों में साफ नजर आ रही है। रिहर्सल तेज हो गया है और आयोजन समितियों के साथ ही कलाकार भी रामलीला मंचन की तैयारियों में जुटे हैं। विजयादशमी के मौके पर जगह-जगह होने वाली रामलीलाओं में आपने राम, सीता, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न सहित प्रमुख पात्र देखे होंगे मगर पंतनगर कालोनी, खुरर्मनगर में होने वाले रामलीला के मंचन की बात कुछ अलग है।
महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रही पंतनगर की रामलीला में महिला पात्रों के साथ ही पुरूषों के कई प्रमुख किरदार भी बेटियां व महिलायें निभा रही हैं। यहां पर सीता, कैकेयी, कौशल्या व सूर्पनखा का किरदार तो महिलायें निभाती ही थी लेकिन बीते 7 वर्षों से राम, लक्ष्मण व शत्रुघ्न का किरदार भी बेटियां निभाती हैं। मतलब साफ है कि महिलायें भी अब किसी से कम नहीं हैं और वह कंधे से कंधा मिलाकर पुरूषों के किरदार को बखूबी निभा रही है। हालांकि रावण का किरदार पुरूष ही निभाते आ रहे है। ऐसे में दशहरे पर रामलीला में स्नातक की छात्रा कु. ऋचा उप्रेती (राम) बैंक प्रबंधक भुवनेश सिंह रावत (रावण) को मारकर असत्य पर सत्य की जीत हासिल करेंगीे।
पंतनगर सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष महेंद्र सिंह रावत बताते है कि महिलायें व बेटियां भी किसी से कम नहीं है और वह आगे बढ़े इसी उद्देश्य से उन्हें प्रमुख किरदारों को निभाने का अवसर दिया जा रहा है। पहले महिलायें व बेटियां किरदार निभाने में झिझकती थी लेकिन धीरे-धीरे उनकी झिझक दूर हो गई और अब वह अपने किरदार को बखूबी निभा रही है। महेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि कुमाऊँनी शैली की उत्कृष्ट रामलीला में गायन अवधी भाषा में किया जाता है जबकि संवाद हिन्दी खड़ी बोली में बोले जाते हैं। जो तुलसी कृत रामचरित मानस, विनय पत्रिका, कवितावली आदि पुस्तकों से उद्धृत दोहा, छन्द विभिन्न शास्त्रीय रागों पर आधारित गाए जाते हैं।
महामंत्री गोकुल चन्द्र उप्रेती ने बताया कि इस वर्ष की रामलीला मातृ-शक्ति को समर्पित है जिसमें प्रमुख पात्रों का अभिनय भी महिला पात्रों द्वारा किया जा रहा है।
एलईडी के माध्यम से दर्शाया जायेगा मनोहारी दृश्य
प्रचार मंत्री कैलाश बिनवाल ने बताया कि इस वर्ष भी श्रीरामलीला के कई मनोहारी दृश्यों को एलईडी के माध्यम से दर्शाया जायेगा, जो दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। रामलीला की तैयारी में समिति के कार्यकर्ता तन-मन-धन से जुट चुके हैं। कोषाध्यक्ष महेश चन्द्र तिवारी सहित अन्य पदाधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में जुटे हैं।
रामलीला के मुख्य पात्रकु. ऋचा उप्रेती (राम), मनीषा उप्रेती (लक्ष्मण), कु. वैशाली सनवाल (सीता), यशराज जोशी (भरत), कु. दिव्यांशी जोशी (शत्रुघ्न), पूरन सिंह नयाल (दशरथ), भुवनेश सिंह रावत (रावण), भूपेन्द्र सिंह नेगी (हनुमान), नीलेश रावत (अंगद), कु. रुपाली रावत (सूपर्नखा), मंजू पाण्डेय (कैकेई), कैलाश बिनवाल (जनक), प्रमोद चंद्र तिवारी (मेघनाद)
तैयारियां अंतिम चरणों में, रिहर्सल तेज
30 सितम्बर से शुरू होने वाले छः दिवसीय रामलीला के 33वें मंचन की तैयारियां अंतिम चरणों में है। सांस्कृतिक मंत्री दीपक सनवाल के निर्देशन में कलाकारों ने रिहसर्ल भी तेज कर दिया है। कुमाऊंनी शास्त्रीय रागों और काव्यात्मक संवादों से भरी इस रामलीला में अपने पात्रों के बखूबी मंचन के लिये कलाकारों में काफी उत्साह है और वह जोरशोर से इसकी तैयारी कर रहे है।
श्रीरामलीला कार्यक्रम
30 सितम्बर - मंगलाचरण, श्रीराम जन्मोत्सव, विश्वामित्र द्वारा यज्ञ की रक्षा हेतु श्रीराम की याचना, वन मार्ग में ताड़का सुवाहु व मिथिलपुर मार्ग में अहिल्योद्वार, जनकपुर में मिथिलेश द्वारा महर्षि का राम-लक्ष्मण सहित स्वागत, लक्ष्मण द्वारा नगर दर्शन का आग्रह, पुष्प वाटिका में गौरी पूजन हेतु सहेलियों सहित सीता जी का आगमन, सौन्दर्य दर्शन एवं गौरी पूजन स्वयंवर सभा में विदेह का प्रण सुनाना, रावण का आगमन, राजाओं का धनुष तोड़ने का असफल प्रयास, श्रीराम द्वारा धनुष भंग, सीता जी द्वारा जयमाल पहनाना।
01 अक्टूबर - सभा में परशुराम जी का प्रवेश, लक्ष्मण से संवाद, परशुराम जी द्वारा श्रीराम की आराधना, अयोध्या में राजा दशरथ द्वारा श्रीराम को युवराज बनाये जाने की घोषणा, मंथरा की कैकेयी से कुमंत्रणा, दशरथ कैकेयी सवाद, सीता लक्ष्मण सहित सुमन्त के साथ राम वन गमन।
02 अक्टूबर - श्रृंगवेरपर में केवट मिलन-गंगा पार करना, सुमन्त विलाप, दशरथ का राम वियोग में प्राण त्याग, भरत का शत्रुध्न सहित ननिहाल से लौटन, माँ ककेयी से संवाद एवं प्रताड़ना, शत्रुघ्न का मंथरा पर क्रोध, राम मिलन हेतु माताओं सहित भरत का चित्रकूट गमन, श्रीराम का दण्डक वन को प्रस्थान, पंचवटी में सूर्पनखा का नासिक छेदन, खर-दूषण वध, मारीच का स्वर्णमृग बनना, सीताहरण
03 अक्टूबर - राम लक्ष्मण का वन में मिलन, राम विलाप, हनुमान भेंट, सुग्रीव मैत्री, बालि वध, वर्षा ऋतु विरह वर्णन, हनुमान का लंका में प्रवेश, अशोक वाटिका में सीता रावण संवाद, हनुमान जी द्वारा सीता जी का दर्शन, वाटिका भंग, रावण दरबार में हनुमान, लंका दहन
04 अक्टूबर - रावण विभीषण संवाद, सेतुबंध शिव आराधना, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, सुषेण वैध का आगमन, हनुमान जी द्वारा संजीवनी लाना, कुम्भकर्ण, मेघनाद, रावण वध, रामचन्द्र जी का अयोध्या लौटना, भरत मिलाप।
05 अक्टूबर - श्रीराम शोभा यात्रा, श्रीराम राज्याभिषेक, पारितोषिक वितरण, सांस्कृतिक कार्यक्रम
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