‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस परियोजना के तहत पांच वर्ष में स्कूली शिक्षा पर खर्च होंगे 10 हजार करोड़ रुपए
सोशल सेक्टर में वर्ल्ड बैंक की सहायता से चलने वाला देश का सबसे बड़ा मिशन गुजरात में
विकास के गुजरात मॉडल का पहिया रूका नहीं है। वह लगातार आगे बढ़ रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री के डैशबोर्ड पर ज्यादातर योजनाओं का रंग या तो हरा है या फिर वे अपने पूरे होने का संकेत दे रही हैं। यह वही डैशबोर्ड है जिसे अपने यहां शुरू करने के लिए केरल जैसा राज्य भी लालायित है। गुजरात ने नया कीर्तिमान बुनियादी व माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में भी हासिल किया है, जो राज्य में शिक्षित और कुशल श्रमबल का आधार बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। काम बड़ा है तो इशका आधार भी बुनियादी रखा गया है, ताकि बदलाव की प्रक्रिया पूरी ही न हो बल्कि स्थायी भी हो। बीते 20 वर्षों में सूबे में कक्षा 1 से 8 में ड्रॉपआउट रेशियो 37.22 प्रतिशत से घट कर 3.39 फीसद हो गया है।
वर्ल्ड बैंक की सहायता से चलने वाला देश का सबसे बड़ा मिशन
सोशल सेक्टर में वर्ल्ड बैंक की सहायता से चलने वाला देश का सबसे बड़ा मिशन ‘स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस’ प्रोजेक्ट शुरू हुआ है और ज्ञानकुंज प्रोजेक्ट के अंतर्गत राज्य में 15 हजार से अधिक स्मार्ट क्लासरूम्स का निर्माण हो चुका है। दूसरी ओर सरकारी एवं अनुदान प्राप्त स्कूलों को प्रतिस्पर्धात्मक तथा ढाँचागत रूप से श्रेष्ठ बनाने और बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासरूम, स्टेम लैब जैसी अत्याधुनिक भौतिक सुविधा देने के लिए यह मिशन ‘स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस’ प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस प्रोजक्ट के अंतर्गत आगामी पाँच वर्षों में स्कूली शिक्षा क्षेत्र में 10,000 करोड़ रुपए ख़र्च किए जाएँगे।
इस योजना के तहत वर्ल्ड बैंक द्वारा 500 मिलियन डॉलर के फंडिंग को मंज़ूरी दी गई है। इसके अतिरिक्त वर्ल्ड बैंक और 250 मिलियन डॉलर की फंडिंग को मंजूरी देने के लिए कार्यवाही कर रहा है। कुल मिला कर इस प्रोजेक्ट में वर्ल्ड बैंक 750 मिलियन डॉलर देगा।
छह वर्षों में 25 हजार नए क्लासरूम बनेंगे
इस मिशन के अंतर्गत 20 हजार सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की कायापलट की जाएगी। इसमें प्रथम चरण में 3 हजार, दूसरे चरण में 7 हाजर और तीसरे चरण में 10 हजार स्कूलों को शामिल किया जाएगा, जहां बच्चों को वैश्विक स्तर की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। उद्देश्य यह है कि छह वर्षों में 25 हजार नए क्लासरूम बनाए जाएं और प्राथमिक तथा माध्यमिक विद्यालयों में 1.5 लाख स्मार्ट क्लासरूम का निर्माण हो। इन क्लास रूम्स में 25 हजार कंप्यटर लैब तथा 5 हजार अटल टिंकरिंग लैब भी होंगी।
गौरतलब है कि स्कूलों में पानी तथा बिजली नहीं होने की समस्या के कारण भी ड्रॉपआउट रेशियो बढ़ रहा था। सरकार ने यह बात बहुत शिद्दत से महसूस की कि केवल शिक्षकों की भर्तियां करने से ही समस्या दूर नहीं हो सकतीं, बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में कार्य होना भी आवश्यक है। लिहाजा, प्रदेश की सरकार ने विभिन्न मोर्चों पर एकसाथ निर्णयक पहल कर शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कामयाबी दर्ज की है।
एसी क्लासरूम तक उपलब्ध
अहमदाबाद के छोर पर स्थित दसक्रोई के भाथीपुरा गांव के प्राथमिक स्कूल में कृषि श्रमिकों के बच्चे हाल में एसी क्लामसरूम में पढ़ते हैं। कृषि मज़दूरी करने वालों के बच्चे टच स्क्रीन तथा पेन के माध्यम से समग्र विश्व के साथ ताल मिला रहे हैं। स्कूल के आचार्य सुरेश पटेल बताते हैं कि बच्चों को मां की गोद छोड़ कर स्कूल में आने का मन करने वाला वातावरण स्कूल में बनाया गया है और स्कूल के प्रांगण में औषधियों के पौधे लगाए गए हैं।
राज्य सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा के साथ टेक्नोलॉजी को भी जोड़े जाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। एमआईएस डेटा के अनुसार ज्ञानकुंज प्रोजेक्ट के अंतर्गत समग्र गुजरात में 15,000 से अधिक स्मार्ट क्लासरूम्स बनाए गए हैं। वर्ष 2022-23 में ऐसे लगभग 24,000 और स्मार्ट क्लासरूम्स के कार्यरत् होने की अपेक्षा है। राज्य के सभी स्कूलों की दैनिक ऑनलाइन उपस्थिति 1 करोड़ 15 लाख है।
300 मिलियन से अधिक वर्चुअल क्लासरूम
सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों एवं फ़ील्ड अधिकारियों को भी टेबलेट दिए गए हैं। 350 से अधिक स्कूलों को सीसीटीवी कैमरा से लैस किया गया है। विद्यार्थियों के केन्द्र सरकार की दीक्षा ऐप्लिकेशन का उपयोग करने के लिए स्कूली पाठ्यपुस्तकों में क्यूआर कोड भी दिए गए हैं, जिससे विद्यार्थी सरलता से ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं। परिणामस्वरूप गुजरात दीक्षा ऐप के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने में राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष पर रहा है। इसके अलावा डीडी गिरनार तथा विभिन्न टीवी चैनलों के माध्यम से प्रत्येक कक्षा के लिए ऑनलाइन शिक्षा दी जाती है। यह भी महत्वपूर्ण है कि अब तक माइक्रोसॉफ्ट टीम एप्लीकेशन पर 300 मिलियन से अधिक वर्चुअल क्लासरूम्स द्वारा शिक्षा दी गई है, जो विश्व भर में इस प्लेटफार्म का सर्वाधिक उपयोग है।
गुजरात ने विकास के लिए शिक्षा को जरूरी मानकर इस दिशा में पहल बहुत पहले शुरू कर दी थी। राज्य सरकार ने पिछले 8 वर्षों में अपने बजट की 15 प्रतिशत से अधिक राशि शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित की है। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) के अनुसार राज्य में विद्यार्थी-शिक्षक का रेशियो 28:1 और विद्यार्थी-क्लासरूम का रेशियो 25:1 है। गुजरात के सरकारी स्कूलों में कुल 2,37,000 शिक्षक कार्यरत हैं।
लर्निट-आउटकम रिपोर्ट कार्ड लॉन्च करने वाला पहला राज्य
लर्निट-आउटकम-आधारित विद्यार्थियों का रिपोर्ट कार्ड लॉन्च करने वाला गुजरात समग्र देश में प्रथम राज्य था। स्कूली शिक्षा सूचकांकों का ऑनलाइन निरीक्षण करने के लिए विद्या समीक्षा केंद्र भी शुरू किया गया है। इस प्लेटफार्म के उपयोग से रीयल टाइम में 10 बिलियन से अधिक डेटा पॉइंट एकत्र किए गए हैं। राज्य सरकार के इन सभी प्रयासों व परिणामों से स्पष्ट है कि गुजरात में राज्य के युवाओं के लिए बेस्ट इन क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर तथा उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध है।
प्रेम प्रकाश |
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं आर्थिक मामलों के जानकार |
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