लखनऊ। महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तर प्रदेश (मध्य) की लखनऊ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी का शुक्रवार को गूगल मीट के माध्यम से आयोजन किया गया। गोष्ठी डॉ रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं संयोजन में संपन्न हुई। गोष्ठी में मुख्य अतिथि रहीं डॉ राजेश कुमारी, अध्यक्ष -महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य तथा विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी महासचिव -महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य मौजूद रहीं।
साल 2021 को विदाई देते तथा नव वर्ष के आगमन के बीच आयोजित काव्य गोष्ठी में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ राजेश कुमारी ने सभी कवयित्रियों को नववर्ष की बधाई दी व सभी का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने आगामी वर्ष सभी में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करे ऐसी मनोकामना की।
दिसम्बर माह की महिला काव्य गोष्ठी में सभी की कविताओं ने मंत्र- मुग्ध कर दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी ने 'किससे करूँ शिकायत सुनाकर काव्य - संध्या का जोरदार आगाज किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ शोभा बाजपेई ने 'कुर्बानी क्या होती है पूछो वीर जवानों से', डॉ अनुराधा पान्डेय ने 'मैंने तुम्हारे मुख के कुछ अक्षर सहेजे हैं', डॉ सुधा मिश्रा ने' हिस्सेदारी की बात चली तब बूढ़ी आंखे', स्नेहलता ने 'कितना कठिन काम है', डॉ रेखा गुप्ता ने अपने गीत' नया वर्ष है रौशनी है नयी' सुनाया...। डॉ कालिंदी पांडे ने 'पापी पेट का सवाल', डॉ कीर्ति श्रीवास्तव ने 'तारीखें बदल जाती हैं', अंजू' लखनवी' ने 'ऐ जिंदगी', बीना श्रीवास्तव ने' नयन भीगे हैं', अर्चना पाल ने' जिंदगी के सवाल' कविता के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किये। साधना मिश्रा' लखनवी' ने जिंदगी के रंग', नीरजा शुक्ला 'नीरू'जी ने 'जीवन के कोरे पन्नों पर' सुना कर शमां बांधा।
पूजा कश्यप ने 'गाँव से दूर' व डॉ राजेश कुमारी ने अपनी कविता' यह मंच है हमारा' के माध्यम से अपने विचारों को साझा किया। डा.पूनम सिंह ने अपनी कविता 'मैं कौन हूँ' का पाठ किया। मनीषा श्रीवास्तव ने अपनी गज़ल 'सुनो न तुम इक दफा' डा.शोभा त्रिपाठी ने' इक फसाना मुहब्बत का' और अंत में डॉ रीना श्रीवास्तव ने अपनी कविता' मानव खुद अपने आप से अंजाना है' के साथ गोष्ठी का समापन किया। कार्यक्रम का बहुत ही कुशलतापूर्वक एवं प्रभावशाली संचालन करते हुए डॉ रीना श्रीवास्तव ने सभी कवयित्रियों का आभार व्यक्त किया तथा सर्वे भवन्तु सुखिना, सर्वे संतु निरामया के संदेश के साथ कार्यक्रम को विराम दिया।
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