- गॉर्बेज फ्री सिटी में राजधानी ने हासिल की वन स्टार रैंकिंग
- छह हजार अंकों के सर्वेक्षण में मिले 4586.17 अंक
लखनऊ। स्वच्छ शहरों में लखनऊ की रैंकिंग में पिछले साल की तुलना में कोई सुधार नहीं हुआ है। लखनऊ नगर निगम ने शहर में सफाई व्यवस्था को बरकरार रखने में सफलता जरूर हासिल की है। हालांकि लखनऊ नगर निगम ने उत्तर प्रदेश में टॉप किया है। उत्तर प्रदेश में उसे नंबर वन का खिताब मिला है। हर साल की तरह इस बार भी लखनऊ टॉप टेन में अपनी जगह नहीं बना सका है। देश में बारहवें नंबर पर लखनऊ रहा है। इससे पहले भी लखनऊ देश में 12वें नंबर था।
वर्ष 2020 में 12वीं रैंक मिली थी
वर्ष 2019 में 121वीं रैंक, वर्ष 2018 में 115वीं रैंक, वर्ष 2017 में 269वीं रैंक मिली थी। वर्तमान वर्ष 2021 को तीन-तीन माह में विभाजित कर अंक दिए गए थे। सर्वेक्षण कुल 6000 अंकों का था। तीन भागों में सर्वेक्षण किया गया था। घर-घर से कूड़े को एकत्र करना, परिवहन एवं समुचित निस्तारण करना, छटाई करना।
नगर निगम का दावा
कूड़ा उठान के लिए 500 से अधिक वाहन लगाए थे। चार कम्पार्टमेंट भी थे जिसमे जिसमे सूखा, गीला कचरा, रिसाइक्लेबल कचरा, मेडिकल, जैविक कचरा अलग-अलग रखकर उसे प्लांट में भेजा गया।
घर-घर से कूडे़ के संग्रहण, निस्तारण पर 2400 अंक मे से मिले 1936.39
घर-घर से कूडे़ के संग्रहण, परिवहन एवं समुचित निस्तारण के 2400 अंक निर्धारित किये गये। समस्त जोनो में 100 टन क्षमता के मेटिरियल रिकवरी फेसिलिटी प्वाइंट स्थापित किए गए है जहाँ से प्राप्त मैटिरियल को प्रोसेस कर पुनः उपयोग बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन एवं डेमोलिशन वेस्ट प्लांट रायबरेली रोड पर स्थापित किया गया है जिसमें मलबा/बिल्डिंग की सामग्रियां पृथक कर पुनः उपयोग हेतु तैयार कर ली जाती है। इसके अतिरिक्त आवश्यकतानुसार सामग्री विक्रय भी की जाती है। शहर में मुख्य 62 डिवाइडर रोड की सफाई हेतु 09 मैकेनाइज़ स्वीपिंग मशीन चलाये जा रहें हैं। नगर निगम लखनऊ द्वारा शहर के स्वच्छता हेतु कारकस प्लांट की स्थापना की गयी है, जहाँ मृत पशुओं के शवो का स्वच्छतापूर्वक निस्तारण किया जाता है।
सर्टिफिकेशन पर कुल 1800 अंक निर्धारित, मिले 1100
खुले में शौच मुक्त (ओ.डी.एफ.++), वॉटर+, जी.एफ.सी. (गॉर्बेज फ्री सिटी) सर्टिफिकेशन पर कुल 1800 अंक निर्धारित किए गए। वर्तमान में शहर में कुल 390 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय निर्मित कराये गये हैं। विजिटर तथा टूरिस्ट के लिए 96 वातानुकूलित डी-लक्स शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इनके अतिरिक्त 510 यूरिनल प्वाइंट भी बनाये गये है। सेफ सिटी परियोजना के अंतर्गत महिलाओं के विशेष रूप से 74 पिंक शौचालयों का निर्माण किया गया है जिसमें इंसीनरेटर, सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन, हैंड ड्रायर, डिस्पेंसर, पेपर टॉवेल, बेबी चेन्जिंग स्टेशन का प्राविधान किया गया है।
सिटीजन पार्टीसिपेशन के में 1800 अंक निर्धारित, मिले 1549.78
नागरिको की जागरुकता एवं योजना में सहभागी बनने के संबंध में सिटीजन पार्टीसिपेशन के संबंध में 1800 अंक निर्धारित किए गए। नागरिको की स्वच्छता के प्रति सहभागिता सुनिश्चित करायी गयी जिसके लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम निरन्तर कराये गये। साथ ही आम जनता की राय भी प्राप्त की गयी। शिकायतो का त्वरित निस्तारण, व सुझावों पर विचार किया गया। नागरिकों द्वारा अपना फीडबैक भारत सरकार की वेबसाइट पर दर्ज कराने एवं भारत सरकार द्वारा जारी स्वच्छता ऐप को डाउनलोड कर उस पर गंदगी सम्बन्धी शिकायते अपलोड करने, शिकायतों का निस्तारण, निस्तारण उपरांत नागरिकों का फीडबैक पर भी नगर निगम को अंक प्राप्त हुए।
इस वजह से पिछड़ा लखनऊ
आईआईएम रोड पर घैला में पांच लाख टन लगे कूड़े के ढेर का निस्तारण दो साल में नहीं हो सका है। शिवरी प्लांट में भी 1.85 लाख टन कचरे का पहाड़ बना हुआ है। सर्वेक्षण के दौरान वार्डों में साफ-सफाई ठीक नहीं पाई गई। जगह-जगह सीवर लाइन की खोदाई की वजह से गलियां उखड़ी पड़ी थीं। कूड़ा निस्तारण के लिए मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर (एमआरएफ) की उपयोगिता भी पूरी नहीं हो सकी। सड़कों पर तीन डस्ट बिन लगाए गए हैं। घर घर से कूड़ा कलेक्शन के अलग अलग कम्पार्टमेंट वाली गाड़ियां उपलब्ध करायी गयी हैं लेकिन सूखा और गीला कचरा एक साथ ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंच रहा है। गली-मोहल्लों में नालियां चोक मिलीं। शौचालयों में गंदगी और ताले लगे हुए हैं।
इस तरह से मिले अंक
स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 का सर्वे कुल छह हजार अंक का था। इसमें लखनऊ नगर निगम को सिर्फ 4586.17 अंक ही मिल पाए। दस्तावेजों के लिए कुल 2400 अंक का सर्वे था जिसमें 1936.39 अंक हासिल हुए। सिटीजन फीडबैक के निर्धारित 1800 में 1549.78 अंक मिल सके। सर्टिफिकेशन के लिए ओडीएफ प्लस, ओडीएफ प्लस प्लस और गारबेज फ्री सिटी (जीएफसी) के लिए 1800 अंक तय थे। जिसमें नगर निगम 1100 अंक दिए गए।
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