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उत्तराखंड को मिलेगा पहला अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट : सतपाल महाराज

दिल्ली / लखनऊ। पहाड़ों की राजधानी उत्तराखंड जल्दी ही उत्तराखंड सरकार में पर्यटन, संस्कृति और सिंचाई कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के नेतृत्व में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पाने के लिए तैयार है। सतपाल महाराज अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इस एयरपोर्ट को उत्तराखंड में स्थापित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उत्तराखंड सरकार में पर्यटन, संस्कृति और सिंचाई कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, "विदेशी पर्यटकों के लिए यात्रा को सुगम बनाने हेतु उत्तराखंड में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट होना बहुत जरूरी है। 2014 में उत्तराखंड राज्य में 219 लाख घरेलू पर्यटकों और एक लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक आये थे। कोविड महामारी से पहले  संख्या बहुत तेजी से बढ़ी थी। वर्तमान समय में उत्तराखंड आने के लिए विदेशी पर्यटक पहले नई दिल्ली आते हैं उसके बाद ट्रेन, टैक्सी या अन्य फ्लाइट लेकर उत्तराखंड आते हैं। एयरपोर्ट के बन जाने से दुनिया भर से योग के प्रति उत्साही, प्रकृति और एडवेंचर लवर्स को बिना किसी परेशानी के यहां आने में मदद मिलेगी। एयरपोर्ट हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे स्थानों और आसपास स्थित भारतीय पारंपरिक चिकित्सा, आयुर्वेद का पता लगाने के इच्छुक विदेशियों के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक मार्ग भी प्रदान करेगा। 


उन्होंने कहा कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री (I/C) हरदीप पुरी ने एयरपोर्ट के लिए अपना सहयोग दिया है और खर्च को उठाने के लिए सहमत हुए है। हम लैंड पार्सल की तलाश के लिए शीघ्र आदेश जारी करने हेतु मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के भी आभारी हैं। हम उसी एयरपोर्ट से चार धाम यात्रा के लिए हेलिकॉप्टर सेवा शुरू करना चाहते हैं ताकि तीर्थयात्रियों को सड़क मार्ग से यात्रा करने की आवश्यकता न पड़े। एक बार एयरपोर्ट चालू हो जाने के बाद मुझे उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय यात्री लंदन से कम बजट की फ्लाइट से सीधे उत्तराखंड आ सकते हैं। यह उत्तराखंड में उद्योग और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देगा क्योंकि एयरपोर्ट बिजनेस ट्रिप  (व्यापार यात्रा) को आसान बनाएगा और इच्छुक कंपनियों को यहां अपने कारखाने स्थापित करने की सुविधा प्रदान करेगा, जैसे ताइवान जो एक माइक्रोचिप फैक्टरी स्थापित करने की इच्छा रखता है।"

एयरपोर्ट के लिए जगह के आकार (आवश्यक भूमि की मात्रा) की तलाश की प्रक्रिया चल रही है क्योंकि उत्तराखंड में मौजूदा एयरपोर्ट के रनवे बड़े विमानों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। देहरादून एयरपोर्ट का रनवे 2,140 मीटर लम्बा है और ए 380 या बोइंग 777 जैसे विमानों के लिए यह उपयुक्त रनवे नहीं है, बोइंग जैसे बिमान लंबी-लंबी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए उपयोग किये जाते है। ये विमान चौड़े होते हैं और ये पर्याप्त मात्रा में ईंधन ले जाते हैं। ऐसे विमानों के उड़ान भरने के लिए एक आदर्श रनवे की लंबाई 4,000 मीटर से ज्यादा होती है जबकि लैंडिंग की आवश्यकता 3,000 मीटर या उससे ज्यादा की होती है। हालांकि आधिकारिक अनुमान बताते हैं कि मौजूदा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट को 625 मीटर से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है क्योंकि यह पहाड़ों से घिरा हुआ है, और इसके एक छोर पर सोंग नदी से ऋषिकेश और दूसरे पर देहरादून-हरिद्वार राजमार्ग है।

श्री महाराज ने आगे कहा, "हमें वैंकूवर, लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क, लंदन और रियो डी जनेरियो से आध्यात्मिक पर्यटन में रुचि रखने वाले बहुत सारे आगंतुक मिलते हैं; जो अगर एयरपोर्ट बन जाता है तो वे सीधे वैंकूवर से लोग सीधे उत्तराखंड आ सकते हैं और हेमकुंड साहिब और मीठा-रीठा साहिब की तीर्थ यात्रा के लिए आसान हेलीकॉप्टर सेवा प्राप्त कर सकते हैं। यह दक्षिण अमेरिका के बहुत सारे इच्छुक यात्रियों  को मदद प्रदान करेगा। उत्तरी अमेरिका के ज्यादातर पर्यटक यहाँ पर बसे विदेशों के आध्यात्मिक नेताओं से आकर्षित होते हैं। दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के हमारे प्रधानमंत्री के प्रयासों के असर से मॉरीशस, फिजी और त्रिनिदाद जैसे देशों से अधिक भारतीय (एनआरआई) और भारतीय मूल के लोग(पीआईओ) आखिरी अवशेषों को विसर्जित करने के लिए हरिद्वार आना चाहते हैं। उनके परिवार के सदस्यों के लिए इंटरनेशनल एयरपोर्ट  फायदेमंद होगा। एयरपोर्ट से हम डेडीकेटेड हिमालयी उड़ानों, योग उड़ानों और चार धाम उड़ानों की योजना बना सकते हैं। यह पंच प्रयाग, पंच बद्री और पंच केदार सहित पर्यटन के नए रास्ते भी खोलेगा। हम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए लोगों के सुझावों का स्वागत करते हैं।"

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