सीएसआईआर- केन्द्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) ने सार्स-सीओवी-2 से मुकाबले के लिये 27 स्वदेशी निर्माताओं को यूवी रोगाणुनाशक तकनीक हस्तांतरित की
नई दिल्ली। सार्स-सीओवी-2 के वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कणों और बूंदों के माध्यम से हवा के रास्ते प्रसार के प्रमाण बढ़ रहे हैं, जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों डब्लूएचओ, रीह्वा, एश्रे एवं विभिन्न देशों के स्वास्थ्य विभागों के द्वारा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हवा के जरिये प्रसार इमारतों के अंदर की स्थितियों के लिये गंभीर जोखिम है। उल्लेखनीय रूप से सीएसआईआर की घटक प्रयोगशालाओं सीएसआईआऱ-कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केन्द्र (सीएसआईआर-सीसीएमबी) और सीएसआईआर- सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएमटेक) के द्वारा सितंबर 2020 में किये गये शोध ने प्रायोगिक रूप में प्रदर्शित किया था कि सार्स-सीओवी-2 के विषाणु कण किसी कमरे से संक्रमित मरीज के बाहर जाने के 2 घंटे बाद भी और कुछ मीटर से कहीं ज्यादा दूरी तक भी पाये जा सकते हैं (एस सी मोहरिर एवं अन्य) जो सार्स-सीओवी-2 के हवा के रास्ते प्रसार के सबूतों को और मजबूत बनाता है।
https://www.medrxiv.org/content/10.1101/2020.12.30.20248890v1)
सीएसआईआर-सीएसआईओ ने एक यूवी-सी एयर-डक्ट डिसइन्फेक्शन सिस्टम को विकसित किया है। इस डिसइन्फेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल प्रेक्षागृह, बड़े सम्मेलन कक्ष, कक्षाओं, मॉल्स आदि में किया जा सकता है, जो कि मौजूदा महामारी में इमारत के अंदर गतिविधियों को अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करायेगा। यह तकनीक हवा के सूक्ष्मकणों में मौजूद सार्स-सीओवी-2 विषाणु को निष्क्रिय करने की जरूरतों के आधार पर, वायुसंचार के जरूरी उपायों, आवश्यक सुरक्षा और उपयोगकर्ताओं के दिशानिर्देश और जांची गयी जैव-सुरक्षा मानकों के साथ विकसित की गयी है।
इन अध्ययनों पर आधारित और विषाणु विसंक्रमीकरण के लिये प्रभावी हल की जरूरत को पहचानते हुए चुनौती यह थी कि ऐसा प्रभावी, हर स्थिति में सफल, मौजूदा प्रणाली में इस्तेमाल योग्य उपकरण विकसित किया जाये जिसमें तेज वायुप्रवाह को संभालने की उच्च क्षमता हो और वो मौजूदा एचवीएसी सिस्टम, जो औद्योगिक और व्यावसायिक वातावरण में इमारतों के अंदर बड़ी संख्या में इस्तेमाल हो रहे हैं, के एयर डक्ट में कम से कम व्यवधान उत्पन्न किये लगाये जा सके। सीएसआईआर-सीएसआईओ ने एक यूवी-सी एयर-डक्ट डिसइन्फेक्शन सिस्टम को विकसित किया है। इस डिसइन्फेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल प्रेक्षागृह, बड़े सम्मेलन कक्ष, कक्षाओं, मॉल्स आदि में किया जा सकता है, जो कि मौजूदा महामारी में इमारत के अंदर गतिविधियों को अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करायेगा। यह तकनीक हवा के सूक्ष्मकणों में मौजूद सार्स-सीओवी-2 विषाणु को निष्क्रिय करने की जरूरतों के आधार पर, वायुसंचार के जरूरी उपायों, आवश्यक सुरक्षा और उपयोगकर्ताओं के दिशानिर्देश और जांची गयी जैव-सुरक्षा मानकों के साथ विकसित की गयी है। यूवी-सी 254एनएम यूवी लाइट के उचित इस्तेमाल से 99 प्रतिशत तक वायरस, बैक्टीरिया फंगस और हवा में उपस्थित अन्य जैविक-सूक्ष्म कणों को निष्क्रिय करता है। यूवी-सी का इस्तेमाल महामारी की मौजूदा लहर के दौरान देखे जा रहे फंगल इंफेक्शन को सुधारने में भी मदद कर सकता है।
सीएसआईआर-सीएसआईओ ने तकनीक को इन कंपनियों को हस्तांतरित किया है:
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प्रो. एस. अनंता रामाकृष्णन, निदेशक सीएसआईआर-सीएसआईओ ने साथ ही कहा कि डॉ हैरी गर्ग के नेतृत्व में निर्माण विभाग के द्वारा विकसित ये तकनीक अब स्थापित किये जाने के लिये उपलब्ध है और इन कंपनियों की मदद से इसकी उपलब्धता देश भर में होगी। साथ ही अन्य स्थितियों के लिये यूवी आधारित सेनेटाइजेशन उत्पाद डॉक्टर गर्ग की टीम के द्वारा विकसित किये जा रहे हैं। परा-बैंगनी प्रकाश पर आधारित उपायों को लगाने से लोगों का भरोसा बढ़ेगा औऱ जब भी लॉकडाउन/कर्फ्यू में छूट के लिये उचित दिशानिर्देश जारी होते हैं ये उनकी कार्यस्थलों, सार्वजनिक वाहनों और शिक्षण संस्थानों में वापसी को आसान बनायेगा।
यूवी-सी एयर डक्ट डिसइन्फेक्शन सिस्टम
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